Skip to main content

Posts

अदिति कौन थीं ?

  अदिति कौन थीं ? अदिति दक्ष प्रजापति की सबसे बड़ी पुत्री थी। इनका विवाह ऋषि कश्यप से हुआ था। अदिति की १६ सपत्नी थीं। जिनमे एक का नाम दिति था। इनकी सपत्नी इनकी बहन भी थीं। दिति के पुत्र दैत्य कहलाते हैं ( दितेः पुत्राः दैत्याः)। अदिति के बारह पुत्र हुए जिनमें से  इंद्र, विवस्वान्, पर्जन्य, त्वष्टा, पूषा, अर्यमा, भग-आदित्य, धाता, मित्र, अंशुमान्, वरुण, वामन    हैं। खगोलीय दृष्टि से अन्तरिक्ष में द्वादश आदित्य भ्रमण करते हैं, वे आदित्य अदिति के पुत्र हैं। अदिति के पुण्यबल से ही उनके पुत्रों को देवत्व प्राप्त हुआ। इसीलिए माता अदिति के देव माता भी कहा जाता है |  अदिति का एक पुत्र उनके गर्भ में ही मृत्यु को प्राप्त हो गया था। परन्तु अदिति ने अपने तपोबल से उसे पुनरुज्जीवित किया था। उस पुत्र का नाम मार्तण्ड था। वह मार्तण्ड विश्वकल्याण के लिये अन्तरिक्ष में गतमान् है। पुराणों के आधार पर  अदिति एक प्रतिष्ठित हिन्दू देवी है। वे महर्षि कश्यप की पहली पत्नी थीं।  इनके बारह पुत्र हुए जो आदित्य कहलाए (अदितेः अपत्यं पुमान् आदित्यः)। वेदों के आधार पर  इनका कोई पति नहीं है, ऋग्वेद मे इन को ब्रह्म शक

वेदो के अनुसार कल्प

  वेदो के अनुसार एक युग = 1 × 432000 = 432000 दिन = कलयुग 2 × 432000=864000 दिन = द्वापर 3 × 432000=1296000 दिन = त्रेता 4 × 432000=1728000 दिन = सतयुग सब मिलकर = एक दिव्य युग 71 दिव्य युग = एक मनवान्तर= बृह्मा का एक दिन = कल्प सृष्टि कि कुल आयु : 4320000000 वर्ष इसे कुल 14 मन्वन्तरों मे बाँटा गया है. वर्तमान मे 7वें मन्वन्तर अर्थात् वैवस्वत मनु चल रहा है. इस से पूर्व 6 मन्वन्तर जैसे स्वायम्भव, स्वारोचिष, औत्तमि, तामस, रैवत, चाक्षुष बीत चुके है और आगे सावर्णि आदि 7 मन्वन्तर भोगेंगे.

Hanuman Sahasranama Stotram in English

Hanuman Sahasranama Stotram in English ōṁ asya śrī hanumat sahasranāma stōtra mantrasya śrīrāmacandrar̥ṣiḥ anuṣṭupchandaḥ śrīhanumānmahārudrō dēvatā hrīṁ śrīṁ hrauṁ hrāṁ bījaṁ śrīṁ iti śaktiḥ kilikila bubu kārēṇa iti kīlakaṁ laṅkāvidhvaṁsanēti kavacaṁ mama sarvōpadravaśāntyarthē mama sarvakāryasiddhyarthē japē viniyōgaḥ | dhyānam prataptasvarṇavarṇābhaṁ saṁraktāruṇalōcanam | sugrīvādiyutaṁ dhyāyēt pītāmbarasamāvr̥tam || gōṣpadīkr̥tavārāśiṁ pucchamastakamīśvaram | jñānamudrāṁ ca bibhrāṇaṁ sarvālaṅkārabhūṣitam || vāmahastasamākr̥ṣṭadaśāsyānanamaṇḍalam | udyaddakṣiṇadōrdaṇḍaṁ hanūmantaṁ vicintayēt || stōtram hanūmān śrīpradō vāyuputrō rudrō nayō:’jaraḥ | amr̥tyurvīravīraśca grāmavāsō janāśrayaḥ || 1 || dhanadō nirguṇākārō vīrō nidhipatirmuniḥ | piṅgākṣō varadō vāgmī sītāśōkavināśanaḥ || 2 || śivaḥ śarvaḥ parō:’vyaktō vyaktāvyaktō dharādharaḥ | piṅgakēśaḥ piṅgarōmā śrutigamyaḥ sanātanaḥ || 3 || anādirbhagavān divyō viśvahēturnarāśrayaḥ | ārōgyakartā viśvēśō viśvanāthō harīśvaraḥ || 4 || bh

33 करोड़ नहीं बल्कि हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता है।

 33 करोड़ या 33 कोटि देवी-देवता 33 करोड़ नहीं बल्कि हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता है।  यहाँ कोटि का अर्थ है प्रकार न की करोड़  अब जानते हैं हम इन प्रकार को  12 -इंद्र, विवस्वान्, पर्जन्य, त्वष्टा, पूषा, अर्यमा, भग-आदित्य, धाता, मित्र, अंशुमान्, वरुण, वामन 8 -वासु, धरध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष। 11 -रुद्र, हरबहुरुप, त्रयंबक, अपराजिता, बृषाकापि, शंभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली। 2 - अश्विनी और कुमार- इस तरह कुल हुए 12+8+11+2 = 33 कोटि देवी-देवता। https://mahana-sanatana-dharma.quora.com/

भगवान राम को 14 साल का वनवास क्यों हुआ था? न ज्यादा न 14 साल से कम

 भगवान राम को 14 साल का वनवास क्यों हुआ था? न ज्यादा न 14  साल से कम  राजकीय नियम  रामायण की कहानी त्रेतायुग के समय की है।  उस समय यह नियम था कि अगर कोई राजा 14 वर्ष के लिए अपना सिंहासन छोड़ देता है तो वह राजा बनने का अधिकार खो देता है। यह नियम वाल्मीकि रामायण के अयोध्याखंड में लिखित है।  कैकेयी को इस नियम का ज्ञान था   इस वजह से कैकेयी ने राम के लिए ठीक 14 साल का ही वनवास मांगा। न ज्यादा न 14  साल से कम  यही कारण है

पुराण के प्रकार

पुराणों की मुख्यतः 3 प्रकार की श्रेणियाँ हैं... There are mainly 3 categories of puranas… महा पुराण Maha Puranas (Total 18) उप-पुराण Up-Puranas (Total 18) अधिक अतिरिक्त पुराण More Additional Puranas (Total 29)    विष्णु (Vishnu) नारद (Narad) पद्मा (Padma) गरुड़ (Garuda) वराह (Varaha) भागवत (Bhagbata) मत्स्य: (Matshya) कूर्म (Kurma) लिंग (Linga) शिव (Shiva) स्कंद (Skanda) अग्नि (Agni) ब्रह्माण्ड (Brahmanda) ब्रह्म-वैवर्त:(Brahma-vaivarta) मार्केंड्य (Markendya) भविष्य (Bhavishya) वामन (Vamana) ब्रह्मा (Brahma) उप पुराण (Up-Puranas) Sanatkumar Narasimha Skanda (Abstract) Saiba-dharma Dairbyasas Naradiya (Abstract) Kapil Vamana (Abstract) Oushanash Brahmanda (Abstract) Varun Kalika Maheshwar Sambya Souriya Parashar Marich Vargabh Additional Puranas Nandikeshwar Shukra Bashishtha Vaguri Manu Vayu Mahesh Kalki Shaiba Aditya Adi Shambhu Bashishtha-Linga Vishnu-dharmottar Brihodadharama Dharma Gauri Neel Ganesh Atma Devi-bhagvat Bhagvat-bhushana Bhagavatamrita Maha-bhagvat Bhagvatamritashar S

हनुमान गाथा || हम आज पवनसुत हनुमान की कथा सुनाते हैं पावन कथा सुनाते हैं

हनुमान गाथा                              हम आज पवनसुत हनुमान की कथा सुनाते हैं पावन कथा सुनाते हैं वीरों के वीर उस महावीर की गाथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं जो रोम-रोम में सिया राम की छवि बासाते हैं पावन कथा सुनाते हैं वीरों के वीर उस महावीर की गाथा गाते हैं हम कथा सुनाते हैं हे ज्ञानी गुण के निधान जय महाबीर हनुमान हे ज्ञानी गुण के निधान जय महाबीर हनुमान पुंजिकस्थला नाम था जिसका स्वर्ग की थी सुंदरी वानर राज को जर के जन्मी नाम हुआ अंजनी कपि राज केसरी ने उससे ब्याह रचाया था गिरी नामक संगपर क्या आनंद मंगल छाया था राजा केसरी को अंजना का रूप लुभाया था देख देख अंजनी को उनका मान हार्षया था वैसे तो उनके जीवन में थी सब खुशहाली परन्तु गोद अंजनी माता की संतान से थी खाली अब सुनो हनुमंत कैसे पवन के पुत्र कहते हैं पावन कथा सुनाते हैं बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है हम कथा सुनाते हैं हे ज्ञानी गुण के निधान जय महाबीर हनुमान हे ज्ञानी गुण के निधान जय महाबीर हनुमान पुत्र प्राप्ति कारण मां आंजना तब की थी भारी मदन मुनि प्रसन्न हुए अंजना पर अति भारी बक्तेश्वर भगवान को जप और तप से प्रशन्न किया अंजना ने आ