माँ काली कौन हैं ?
Maa Kali Ki Katha | महाकाली की कहानी
माँ काली शक्ति का एक भयानक रूप है। एक दुष्ट राक्षश के विनाश के लिए उनका अवतरण हुआ था।महाकाली विनाश और प्रलय की पूजनीय देवी हैं। महाकाली सार्वभौमिक शक्ति, समय, जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म और मुक्ति की देवी हैं। वह काल (समय) का भक्षण करती है और फिर अपनी काली निराकारता को फिर से शुरू कर देती है। वह महाकाल की पत्नी भी हैं, महाकाली भगवान शिव का ही एक रूप है। संस्कृत में महाकाली महाकाल का नारीकृत रूप है, पार्वती और उनके सभी रूप महाकाली के विभिन्न रूप हैं। Maa Kali Ki Katha की अनेक अलग-अलग कहानिया मिलती है। आज हम पुराणों में वर्णित Maa Kali Ki Katha का वर्णन करेंगे।
महाकाली की उत्पत्ति कैसे हुई?
रक्तबीज नाम का एक राक्षश था ,उसे ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त था, के उसे स्त्री के आलावा और कोई मार नहीं सकता था। उसे यह भी वरदान था के उसके खून की एक बूँद ज़मीं पर गिरे तो एक और रक्तबीज राक्षश पैदा हो जाये। उसने देवताओ और ब्राह्मणो पर अत्याचार करके तीनो लोको में कोहराम मचा रखा था।देवता इस वरदान के कारण रक्तबीज को मारने में असमर्थ थे। निराशा में देवताओं ने मदद के लिए महादेव के पास गए । लेकिन वहां जाके देखा तो महादेव उस समय गहरे ध्यान में थे, देवताओं ने मदद के लिए उनकी पत्नी माता पार्वती को पुकारा। देवी को अपने इस रूप का भान नहीं थी लेकिन देवताओं की बात सुनकर क्रोध के कारन माता का रंग काला और विकराल होने लगा उनका यही रूप माँ काली का रूप था | माता ने माँ काली का रूप धारण करने क बाद रक्त बीज का अंत किया | लेकिन उसके बाद माता का क्रोध शांत नहीं हो रहा था कोई भी देवता अथवा देवी माता के क्रोध को शांत नहीं करा पा रहे थे | उसके बाद उनके इस क्रोध को रोकने के लिए स्वयं उनके पति भगवान शंकर उनके चरणों में आ कर लेट गए थे।महादेव के ऊपर पैर रखने के बाद तब जाके उनका गुस्सा शांत हुआ | इस संबंध में शास्त्रों में बहुत सारी कथाएं वर्णित हैं।
मां काली के 4 रूप हैं-
- दक्षिणा काली,
- शमशान काली,
- मातृ काली
- महाकाली।
राक्षस वध : माता ने महिषासुर, चंड, मुंड, धूम्राक्ष, रक्तबीज, शुम्भ, निशुम्भ आदि राक्षसों के वध किए थे।काली या महाकाली हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। यह सुन्दरी रूप वाली भगवती पार्वती का काला और भयप्रद रूप है, जिसकी उत्पत्ति असुरों के संहार के लिये हुई थी। उनको विशेषतः बंगाल, ओडिशा और असम में पूजा जाता है। काली को शाक्त परम्परा की दस महाविद्याओं में से एक भी माना जाता है। वैष्णो देवी में दाईं पिंडी माता महाकाली की ही है |
काली की व्युत्पत्ति काल अथवा समय से हुई है जो सबको अपना ग्रास बना लेता है। माँ का यह रूप है जो नाश करने वाला है पर यह रूप सिर्फ उनके लिए हैं जो दानवीय प्रकृति के हैं जिनमे कोई दयाभाव नहीं है। यह रूप बुराई से अच्छाई को जीत दिलवाने वाला है अत: माँ काली अच्छे मनुष्यों की शुभेच्छु है और पूजनीय है। इनको महाकाली भी कहते हैं।
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