Skip to main content

Popular posts from this blog

33 करोड़ नहीं बल्कि हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता है।

 33 करोड़ या 33 कोटि देवी-देवता 33 करोड़ नहीं बल्कि हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता है।  यहाँ कोटि का अर्थ है प्रकार न की करोड़  अब जानते हैं हम इन प्रकार को  12 -इंद्र, विवस्वान्, पर्जन्य, त्वष्टा, पूषा, अर्यमा, भग-आदित्य, धाता, मित्र, अंशुमान्, वरुण, वामन 8 -वासु, धरध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष। 11 -रुद्र, हरबहुरुप, त्रयंबक, अपराजिता, बृषाकापि, शंभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली। 2 - अश्विनी और कुमार- इस तरह कुल हुए 12+8+11+2 = 33 कोटि देवी-देवता। https://mahana-sanatana-dharma.quora.com/

नमस्ते अस्तु भगवन विश्र्वेश्र्वराय महादेवाय

                                                            नमस्ते अस्तु भगवन विश्र्वेश्र्वराय महादेवाय त्र्यम्बकाय त्रिपुरान्तकाय त्रिकालाग्निकालाय कालाग्निरुद्राय नीलकण्ठाय मृत्युंजयाय सर्वेश्र्वराय सदाशिवाय श्रीमन् महादेवाय नमः ॥दोहा॥ श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।  कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु प

The Magic Of Shiri Movie Insults Jain Religion & Jain Muni Parampara ? M...