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चतुर्थ ज्योतिर्लिंग घुश्मेश्वर की स्थापना कैसे हुई आइए जानते हैं

 चतुर्थ  ज्योतिर्लिंग घुश्मेश्वर की स्थापना कैसे हुई आइए जानते हैं

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर बेरूलठ गांव के पास  स्थित है 

चिरकाल में वहां पर एक शिव भक्त अपने पति तथा पुत्र के साथ रहा करती थी जिसका नाम घुश्मा था 

जो प्रतिदिन एक पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा तथा सहस्त्र बार ओम नमः शिवाय का जाप किया करती थी और पूजा तथा जाप के बाद वह पार्थिव शिवलिंग को नदी में प्रवाहित कर देती थी ऐसा उसका नित्य दिन का काम था 

उसके इस पवित्र भक्ति भाव से महादेव अति प्रसन्न थे लेकिन अभी परीक्षा बाकी थी  

माता दिति  ने एक चक्रवात का निर्माण किया और उसे सृष्टि की तबाही करने के लिए भेज दिया वह चक्रवात महाराष्ट्र के उसी गांव में अपना प्रभाव दिखाने लगा 

घुश्मा का जो एक पुत्र था वह उसकी चपेट में आ गया तथा अन्य गांववासी भी उसकी चपेट में आ गए 

गांववासी ने घुश्मा को वहां से चलने के लिए कहा 

घुश्मा अगर तुम अभी नहीं चली तो तुम्हारे तथा तुम्हारे पुत्र के प्राण नहीं बचेंगे 

घुश्मा अपनी पूजा और जाप  में लगी रही  

उसके जाप अभी पूरे नहीं हुए थे उसने बिना कुछ सोचे समझे वह अपनी पूजा और जाप  में लगी रही  

गांववासी अपने प्राणों की रक्षा के लिए इधर उधर जाने लगे 

लेकिन घुश्मा के पुत्र को किसी ने नहीं बचाया 

तब घुश्मा के बच्चे ने घुश्मा को पुकारा माता रक्षा करो  रक्षा करो माता लेकिन उसके जाप अभी भी पूरे नहीं हुए थे 

घुश्मा ने अपने जाप को पूरा रखने का निश्चय किया  

अगर मेरे बच्चे का जीवन आज जाना होगा तो चला जाएगा और अगर ऐसा नहीं होगा तो महादेव मेरे बच्चे की प्राणों की रक्षा अवश्य करेंगे

ऐसा मन में सोचते हुए उसने अपनी पूजा तथा जाप को जारी रखा

उसके पुत्र की मृत्यु हो गई और उसके बाद जब जाप समाप्त होने के बाद घुश्मा ने अपने पुत्र को मृत देखा तो वह अपने पुत्र को देख कर रोने लगी और रोते हुए बोली 

कि महादेव शायद नियति ने ऐसा ही तय किया था 

फिर भी आज मेरी ममता की हार हुई हो परन्तु आज मेरी भक्ति की विजय अवश्य हुई है 

तब वहां पर महादेव प्रकट हो गए और वह घुश्मा से बहुत ही प्रसन्न थे घुश्मा की वात्सल्य प्रेम से उच्च कोटि की भक्ति देखकर करुणा के सागर महादेव ने घुश्मा के पुत्र के प्राण  लौटा दिए  तथा घुश्मा  को आशीर्वाद दिया 

आज से यह तुम्हारे द्वारा बनाया गया यह पार्थिव शिवलिंग हमेशा के लिए विराजमान रहेगा 

ऐसा कहकर महादेव ने उस पार्थिव शिवलिंग में अपनी ऊर्जा विद्यमान की और बोले जो यहां पर भक्ति भाव से घुश्मेश्वर शिवलिंग के दर्शन के लिए आएगा 

मैं उसके प्रिय जनों के प्राणों की रक्षा अवश्य करूंगा 

इसलिए वह ज्योतिर्लिंग घुश्मा के ईश्वर के नाम से प्रसिद्ध घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग कहलाया 

जिसे अब घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है  

 
 
 
 

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