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Showing posts from February, 2023

‘महाशिवरात्रि’ कथा

‘महाशिवरात्रि’ कथा प्राचीन काल में, किसी जंगल में एक गुरुद्रुह नाम का एक शिकारी रहता था जो जंगली जानवरों का शिकार करता तथा अपने परिवार का भरण-पोषण किया करता था |एक बार शिव-रात्रि के दिन जब वह शिकार के लिए निकला , पर संयोगवश पूरे दिन खोजने के बाद भी उसे कोई शिकार न मिला, उसके बच्चों, पत्नी एवं माता-पिता को भूखा रहना पड़ेगा इस बात से वह चिंतित हो गया , सूर्यास्त होने पर वह एक जलाशय के समीप गया और वहां एक घाट के किनारे एक पेड़ पर थोड़ा सा जल पीने के लिए लेकर, चढ़ गया क्योंकि उसे पूरी उम्मीद थी कि कोई न कोई जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिए यहाँ ज़रूर आयेगा |वह पेड़ ‘बेल-पत्र’ का था और उसी पेड़ के नीचे शिवलिंग भी था जो सूखे बेलपत्रों से ढके होने के कारण दिखाई नहीं दे रहा था | रात का पहला प्रहर बीतने से पहले एक हिरणी वहां पर पानी पीने के लिए आई |उसे देखते ही शिकारी ने अपने धनुष पर बाण साधा |ऐसा करने में, उसके हाथ के धक्के से कुछ पत्ते एवं जल की कुछ बूंदे नीचे बने शिवलिंग पर गिरीं और अनजाने में ही शिकारी की पहले प्रहर की पूजा हो गयी |हिरणी ने जब पत्तों की खड़खड़ाहट सुनी, तो घबरा कर ऊपर की ओर दे

देवी के 52 शक्तिपीठ

देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा सप्तशती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। देवी के 52 शक्तिपीठ 1) -हिंगलाज माता का हिंगलाज शक्ति पीठ करांची से 125 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है| मान्यता है यहाँ माता सती का सिर गिरा था| ब्रह्मरन्ध्र गिरा था|इसकी शक्ति भैरवी कोट्टवीशा और भीम लोचन भैरव इस शक्ति पीठ की रक्षा करते हैं| 2) शर्कररे (करवीर) यह शक्ति पीठ पाकिस्तान में कराची के सुक्कर स्टेशन के पास है|जहाँ माता सती की आंख गिरी थी|इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम महिषासुर मर्दिनी है|तथा इस शक्ति पीठ की रक्षा क्रोधिश भैरव करते हैं| 3. सुगंधा शक्तिपीठ यह बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिशाल से 20 किमी दूर सोंध नदी के किनारे पर प्रतिष्ठित है|जहाँ माता सती की नासिका गिरी थी|इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम सुनंदा है और त्र्यम्बक भैरव इसके रक्षक है| 4. कश्मीर शक्तिपीठ यह शक्ति पीठ भारत के कश्मीर में पहलगाम के पास है|यहाँ माता सती का कंठ गिरा था|इसकी शक्ति का नाम महामाया है|इसके रक्षक भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं| 5. ज्वालामुखी शक्तिपीठ यह शक्ति पी

|| श्री गणेश चालीसा ||

|| श्री गणेश चालीसा || ॥ चौपाई ॥ जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभः काजू ॥ जै गजबदन सदन सुखदाता । विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥ वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना । तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥ राजत मणि मुक्तन उर माला । स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥ पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥ सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ॥ धनि शिव सुवन षडानन भ्राता । गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥ ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे । मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥ कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी । अति शुची पावन मंगलकारी ॥ एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥ भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥ अतिथि जानी के गौरी सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥ अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥ मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला । बिना गर्भ धारण यहि काला ॥ गणनायक गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥ अस कही अन्तर्धान रूप हवै । पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥ बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना । लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥ सकल मगन, सुखमंगल ग